इंसानियत के बारे में एक कविता...। इंसानियत के बारे में एक कविता...।
काट दी रात हमने ! काट दी रात हमने !
मेरे जैसा अच्छा इंसान आजतक किसी को नहीं मिला...! मेरे जैसा अच्छा इंसान आजतक किसी को नहीं मिला...!
ए मनुष्य खड़ा हो अब तुझे संभलना है, अपने ही चुने हुए पथ पर अब तुझे चलना है ! ए मनुष्य खड़ा हो अब तुझे संभलना है, अपने ही चुने हुए पथ पर अब तुझे चलना है !
और फिर कदम उठाने में मुझे वक़्त कुछ ज्यादा लगता है। और फिर कदम उठाने में मुझे वक़्त कुछ ज्यादा लगता है।
क्यों तोड़ कर अपनी कसम कोई रंजोगम पैदा करूं क्यों भूल से भी तुझे भूल कर दुनिया पर दिल शैदा करूं जिन ... क्यों तोड़ कर अपनी कसम कोई रंजोगम पैदा करूं क्यों भूल से भी तुझे भूल कर दुनिया प...